अपने पंख फैलाओ और उड़ान भरो
आकाश तक
लगातार बने रहें
और चलो पहाड़ियों पर टहलें
आशा आकाश में
रोशनी और अंधेरे के दौरान
सितारों और चाँद के पास
पहाड़ियों और उथल-पुथल के बीच
एक पक्षी की तरह
मैं ही उड़ जाऊंगा
पता नहीं मेरा घर कहाँ है
अगर यह आसमान में है या जमीन पर
तब तक मैं अमीर बनने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं
पर मैं ग़रीब हूँ, मेरे बस सपने हैं
मैंने अपने सपनों को तुम्हारे पैरों तले फैलाया है, धीरे से चलो क्योंकि तुम मेरे सपनों पर चलते हो
written by- RUDRIKA PARASHAR
Comments